बात करने पर भी वायरस फैलने का खतरा, हर 1 सेकेंड में मुंह से निकलती हैं हजारों बूदें

बात करने पर भी वायरस फैलने का खतरा, हर 1 सेकेंड में मुंह से निकलती हैं हजारों बूदें

सेहतराग टीम

खांसने- छींकने से ही वायरस का खतरा नहीं, बल्कि बात करने से भी संक्रमण हो सकता है। सबसे बड़ा खतरा ये है कि ये बूंदे 14 मिनट तक हवा में रह सकती है। नेशनल एकेडमी ऑफ सांइस में प्रकाशित एक अध्ययन में बताया है कि कोरोना से बचाव तभी संभव है जब मॉस्क पहना जाए।

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नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डायबिटिक्स एंड डाइजेस्टिव एंड किडनी डिजिट यूनिवर्सिटीज पेंसिलवेनिया ने एक अध्ययन किया।इसके लिए सामान्य लोगों को स्टे हेल्दी शब्द दफ्ती के बने बक्से में लगातार बोलने को कहा गया। इस बक्से में हरे रंग की लेजर लाइट लगी थी जो मुंह से निकलने वाली बूंदे स्कैन करती थी। लेजर स्कैन में पता चला कि हर एक सेकेंड बात करने के दौरान 2600 छोटी-छोटी बूंदे मुंह से निकलती हैं। लोग जितना तेज बोलतें बूंदों का आकार उतना बड़ा और अधिक होता। अगर कोरोना संक्रमित मरीज तेज-तेज एक मिनट तक बात करेगा तो हजारों संक्रमित बूंदे उसके मुंह से निकलेंगी जिससे अनगिनत लोग संक्रमित हो सकते हैं। ये बूंदे तेजी से सूखती हैं लेकिन आठ से 14 मिनट तक हवा में रह सकती है।

मुंह से तेजी से निकलते हैं दूषित कण

शोधकर्ताओं ने अध्ययन में पाया कि बीमार व्यक्ति खांसता या छींकता है तो सलाइवा और म्यूकस के सॉथ लाखों की संख्या में इन्फलुएंजा और दूसरे वायरस इसके मुंह से निकल सकते हैं। अध्ययन के अनुसार एक बार खांसने से 30 हजार जबकि छींकने से 40 हजार से अधिक दूषित कण निकल सकते हैं। शोधकरत्ओं का कहना है कि वायरस लोड जितना अधिक होगा उतना अधिक वायरस खांसते और छींकते वक्त मुंह से निकलेंगे।

वायरस लोड अधिक तो खतरा अधिक

अमेरिकी संस्था सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार वायर से बचाव के लिए कम से कम छह फीट की दूरी जरुरी है। वहीं वैज्ञानिकों का कहना है कि वायरस छह फीट से अधिक दूर जा सकता है। ये खांसने और छींकने की क्षमता पर निर्भर करता है। आस पास का वातावरण कैसा है, ये भी निर्भर करता है।

 

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